क्यूँ मैं अपना अस्तित्व खोती चली जा रही हूँ ?
क्यूँ मैं अपना बिम्ब देख कपकपाती चली जा रही हूँ ?
क्या मैं खुद से मुंह मोडती चली जा रही हूँ ?
क्यूँ मैं दूसरों की पनाह में खुशियाँ ढूँढती चली जा रही हूँ
क्या मैं खुद बेरोजगार होती चली जा रही हूँ ?
- विनीता
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